ब्रेकिंग : सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: अब महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी को नहीं मिलेगा आरक्षण, सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी के लिए आरक्षित की गई सीटें सामान्य मानने के दिए निर्देश
(शशि कोन्हेर) : नई दिल्ली : महाराष्ट्र में स्थानीय चुनाव में ओबीसी (OBC)आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. बताया जा रहा है कि अब महाराष्ट्र में स्थानीय चुनाव में ओबीसी आरक्षण नहीं मिलेगा. ओबीसी के लिए आरक्षित सीटें सामान्य सीटों में तब्दील कर दी गई हैं. सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार की OBC को 27 प्रतिशत आरक्षण की अधिसूचना रद्द कर दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा बिना ज़रूरी आंकड़े जुटाए आरक्षण दिया गया. इन सीटों को भी सामान्य सीट मानते हुए चुनाव करवाया जाए. वहीं कोर्ट ने कहा कि राज्य चुनाव आयोग तुरंत एक अधिसूचना जारी करे कि OBCआरक्षण सीटों को सामान्य सीट माना जाएगा.
कोर्ट ने कहा कि अपने 6 दिसंबर के आदेश में किसी तरह की तब्दीली से इंकार करते हुए कहा कि राज्य चुनाव आयोग अपनी पिछली अधिसूचना में बदलाव करते हुए हफ्ते भर में नई अधिसूचना जारी करे. उस अधिसूचना में पिछड़े वर्गों के लिए 27 फीसदी आरक्षण के प्रावधान को रद्द करते हुए बाकी बची 73 फीसदी सीटें सामान्य श्रेणी के लिए रखे जाने की नई अधिसूचना एक हफ्ते में जारी करने का आदेश राज्य चुनाव आयोग को दिया है. 6 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र स्थानीय निकाय चुनाव में OBC उम्मीदवारों के लिए 27% आरक्षित सीटों पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग को चुनाव में 27 फ़ीसदी आरक्षण के साथ आगे नहीं बढ़ने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रिपल टेस्ट का पालन किए बिना ओबीसी आरक्षण के लिए अध्यादेश लाने के राज्य सरकार के फैसले को स्वीकार नहीं किया जा सकता जो अनिवार्य है। अध्यादेश पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 27% ओबीसी कोटा आयोग की स्थापना के बिना और स्थानीय सरकार के अनुसार प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता के बारे में डेटा एकत्र किए बिना लागू नहीं किया जा सकता। सामान्य वर्ग सहित अन्य आरक्षित सीटों के लिए शेष चुनाव कार्यक्रम आगे बढ़ सकता है। जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सिटी रवि कुमार की बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी। याचिका में महाराष्ट्र सरकार के अध्यादेश को चुनौती दी थी। जिसने स्थानीय निकाय चुनाव में 27 प्रतिशत ओबीसी कोटा पेश किया था और इसके परिणाम स्वरूप राज्य चुनाव आयोग द्वारा उसी को प्रभावी बनाने के लिए अधिसूचना जारी की गई थी।