बिलासपुर

VIDEO : जेल शिक्षा (एक्सक्लूसिव रिपोर्ट)

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(आशीष मौर्य) : बिलासपुर केंद्रीय जेल के 462 विचाराधिन बंदी और कैदी जेल के भीतर ही ककहरा सिख रहे है,खास बात यह है कि जेल के भीतर पढ़ने वाला भी कैदी है और पढ़ाने वाला भी कैदी।सुबह के 8 बजते ही जेल में कक्षाएं शुरू हो जाती है,इससे बंदियों के जीवन मे सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहा है।

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जेल की काल कोठरियों की सजा का नाम सुनते ही जहां लोग कांपने लगते हैं वहीं अब इसका रूप बदल रहा है। काल कोठरियों में कैदी किताबें पढ़कर समय गुजारने के साथ खुद को शिक्षित बना रहे हैं .ये काल कोठरियां अब कैदियों के लिए भविष्य बनाने का काम भी कर रही हैं। केंद्रीय जेल बिलासपुर में सत्र 2023-24 में कक्षा पहली से लेकर 12वी तक मे 462 बंदीयो ने प्रवेश लिया है,वही उच्च शिक्षा में भी 47 पुरुष व महिला बंदियों ने प्रवेश लिया है।

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खास बात यह है कि जेल के भीतर पढ़ने वाला भी कैदी है और पढ़ाने वाला भी कैदी,यहाँ शिक्षा लेने वालों में 20 साल से लेकर 60 साल तक के कैदी शामिल है।अब तक जेल के अंदर ही पढ़कर सैकड़ो कैदी निरक्षर से साक्षर बन गए है।जिसके चलते कुछ समय पहले तक अंगूठा लगाने वाले कैदी अब हस्ताक्षर करने लग गए है।यहाँ पण्डित माखनलाल चतुर्वेदी ग्रन्थलाय मे विभिन्न प्रकार की 4308 पुस्तके उपलब्ध है.

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किसी न किसी अपराध की सजा काट रहे बंदीयो की सुबह 8 बजते ही कक्षाएं शुरू हो जाती है।बिलासपुर केंद्रीय जेल में हुनर और रोजगार ही नही बल्कि शिक्षा कार्यक्रम भी प्राथमिकता से संचालित किया जा रहा है,जिसके चलते कैदियों के लिए जेल शिक्षा का मंदिर बन गया है।अपने भविष्य का सुनहरा सपना संजोकर ,जेल में बंद निरक्षर कैदी शिक्षा ग्रहण कर रहे है।कई विचाराधीन बंदी अदालत के फैसले के इंतजार में है,जेल के भीतर से बेहतर शिक्षा लेकर जब ये बंदी बाहर निकलेंगे अपनी नई जिंदगी गढ़ेंगे।

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