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यह भारत है यहां शरिया नहीं चलता, फतवे का इमाम उमर अहमद इलयासी ने दिया जवाब..

अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने वाले ऑल इंडिया इमाम ऑर्गेनाइजेशन के प्रमुख उमर अहमद इलयासी के खिलाफ फतवा जारी हो गया था। अब उन्होंने इस फतवे को लेकर जवाब भी दे दिया है। एक चैनल से बातचीत के दौरान उन्होंने साफ किया है कि इस तरह का फतवा उनपर लागू नहीं होता है। साथ ही उन्होंने जानकारी दी है कि वह आपसी सौहार्द और देशहित के लिए प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल हुए थे।

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22 जनवरी को अयोध्या में  कार्यक्रम हुआ था, जिसमें करीब 7000 गणमान्य व्यक्तिगत रूप से शामिल हुए थे। आज तक से बातचीत में इलयासी ने बताया, ‘मैं जो राम मंदिर गया था, प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में, मुझे रामजन्मभूमि ट्रस्ट की ओर से न्योता दिया गया था। मैंने फिर फैसला लिया कि मुझे जाना है। मैंने यह फैसला इसलिए लिया कि क्योंकि मुझे लगा कि आपसी सौहार्द देश के अंदर हो।’

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उन्होंने कहा, ‘और हमारा देश और देश में रहने वालों में अच्छा मोहब्बत का पैगाम जाए। मैं राष्ट्रहित में गया था। मैंने वहां जाकर पैगाम दिया।’ रिपोर्ट के मुताबिक, फतवे में पूछा गया था, ‘आप राम मंदिर में क्यों गए, आपने इंसानियत को धर्म से ऊपर रखा, आपने राष्ट्र को धर्म से ऊपर रखा।’

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‘राष्ट्र सर्वोपरि है’
उन्होंने कहा, ‘हमारी सभी की जातियां अलग हो सकती हैं। हमारी पूजा पद्धति अलग हो सकती है। हमारे इबादत के तरीके अलग हो सकते हैं। हमारे धर्म अलग हो सकते हैं। लेकिन हमारा सबसे बड़ा धर्म इंसान और इंसानियत का है। हम भारत में रहते हैं और सभी भारतीय हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्र सर्वोपरि है। मेरा यह पैगाम था, जो लोगों को पसंद नहीं आया।’

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उन्होंने कहा, ‘इसके बाद इन्होंने देशभर के अंदर मेरा पैगाम-ए-मोहब्बत चैनलों पर निकला, तो उसके बाद तमाम अलग-अलग जगहों से मेरे खिलाफ लोग माहौल बना रहे थे। इस बीच एक फतवा आया। यह एक ऐसा फतवा है, जिसे इमाम या चीफ इमाम के लिए यह लागू ही नहीं होता। यह इतिहास का पहला फतवा है।’

फतवे का दिया जवाब
चैनल से बातचीत के दौरान इमाम ने उनके खिलाफ जारी फतवे का जवाब भी दिया। उन्होंने कहा, ‘मैं खासतौर से उस मुफ्ती को जवाब देना चाहता हूं, जिन्होंने मुझे कुफ्र का फतवा जारी किया है। पहले तो यह फतवा मुझपर लागू नहीं होता, यह भारत है इस्लामिक देश नहीं है। यहां शरिया कानून नहीं चलता है।’

उन्होंने आगे कहा, ‘मैं जो प्राण प्रतिष्ठा में गया, मैं अपने देशहित में गया, आपसी सौहार्द में गया। हमारा देश आपस में जो अतीत में हो गया है, अतीत में जो लाखों लोग मर चुके हैं, हमारा देश उन झगड़ों के चक्कर में पीछे जा चुका है। मुझे लगा कि उन सबको भूलकर आज के लिए सोचना है, कल के लिए सोचना है। जिससे किए देश के अंदर सोहार्द का माहौल बने, उस पैगाम को लेकर गया था। यह मुझपर लागू नहीं होता।’

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