छत्तीसगढ़

संविधान में तो नहीं है, पर… डिप्टी सीएम के पद पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला..

Advertisement

उपमुख्यमंत्री के पद को असंवैधानिक बताते हुए उसे खारिज करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला दिया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि यह पद संविधान में तो नहीं है, लेकिन इससे किसी नियम का उल्लंघन भी नहीं होता है। इस तरह अदालत ने उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया है।

Advertisement
Advertisement

जिसमें डिप्टी सीएम के पद को खत्म करने की मांग की गई थी। अदालत ने कहा कि भले ही डिप्टी सीएम के पद का जिक्र संविधान में नहीं मिलता है। लेकिन इस पद पर सत्ताधारी दल या फिर गठबंधन की किसी पार्टी के नेता को नियुक्त करना अवैध भी नहीं है। इससे संविधान के किसी प्रावधान की अवहेलना नहीं होती।

Advertisement

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा कि एक डिप्टी सीएम विधायक और मंत्री होता है। उसे डिप्टी सीएम इसलिए कहा जाता है ताकि सत्ताधारी पार्टी या फिर गठबंधन के किसी दल के नेता को सम्मान दिया जा सके। इस पद का भले ही संविधान में कोई जिक्र नहीं है, लेकिन इससे संविधान की अवहेलना भी नहीं होती।

Advertisement

बेंच ने कहा, ‘कई राज्यों में उपमुख्यमंत्रियों की नियुक्ति की परंपरा चल रही है। इससे पार्टियां अपने वरिष्ठ नेताओं को थोड़ा सम्मान दे देती हैं। यह असंवैधानिक नहीं है।’इसके साथ ही बेंच ने कहा कि डिप्टी सीएम भी अन्य मंत्रियों की तरह ही कैबिनेट की बैठकों में हिस्सा लेते हैं औऱ उनके मुखिया सीएम ही होते हैं।

याची अधिवक्ता ने कहा था कि कई राज्यों ने यह गलत परंपरा शुरू की है। संविधान में डिप्टी सीएम जैसा कोई पद नहीं है। फिर भी नेताओं को यह पद दिया जा रहा है। अधिवक्ता का कहना था कि यह नियुक्तियां गलत हैं।

इसके अलावा ऐसी नियुक्ति मंत्रियों के बीच समानता के सिद्धांत के भी खिलाफ हैं। इस तर्क के जवाब में बेंच ने कहा, ‘डिप्टी सीएम एक मंत्री ही होता है। इससे किसी संवैधानिक नियम का उल्लंघन नहीं होता है क्योंकि डिप्टी सीएम एक विधायक ही होता है। यदि आप किसी को डिप्टी सीएम कहते हैं तो वह एक मंत्री के लिए होता है।’

Advertisement

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button