छत्तीसगढ़

SC की परंपरा तोड़ने को क्यों तैयार हुए जस्टिस चंद्रचूड़?

Advertisement

(शशि कोंन्हेर) : देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ आजकल सुर्खियों में बने हुए हैं। वह कोर्टरूम में रोजाना सुनवाई के दौरान कभी नरम तो कभी गरम दिखाई देते हैं। हाल ही में एक वकील के आचरण और जोर-जोर से बोलने के अंदाज पर वह बुरी तरह भड़क गए थे। हालांकि, आज उनका रुख काफी नरम दिखा, जब उन्होंने एक वरिष्ठ वकील को पीठ दर्द होने की शिकायत पर खुद ही कोर्टरूम में कुर्सी पर बैठकर बहस करने का ऑफर दे दिया।

Advertisement
Advertisement

अमूमन कोर्टरूम में ऐसा नहीं होता है और अदालती परंपरा के अनुसार वकील खड़े होकर सभ्य अंदाज में ही जजों से मामले की पैरवी करते हैं लेकिन सीजेआई चंद्रचूड़ ने आज सात सदस्यों वाली खंडपीठ की अगुवाई करते हुए वरिष्ठ वकील राजीव धवन को कुर्सी पर बैठकर बहस करने को कहा।

Advertisement

चीफ जस्टिस ने तो धवन से यहां तक कहा कि अगर जरूरी हो या और आरामदायक स्थिति चाहते हों तो वह अपने चैम्बर से कुर्सी मंगवा कर और उसी पर बैठकर सुनवाई में हिस्सा ले सकते हैं। 77 वर्षीय धवन पीठ दर्द से परेशान थे।

Advertisement

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की खंडपीठ आज से अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) को अल्पसंख्यक दर्जा देने के मामले पर सुनवाई कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को फरवरी 2019 में 7 जजों की संविधान पीठ को सौंप दिया था।

ये पीठ इस सवाल पर फैसला करेगी कि क्या संसदीय कानून द्वारा बनाए गए शैक्षणिक संस्थान को संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत अल्पसंख्यक दर्जा दिया जा सकता है। पीठ में जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस दीपांकर दत्ता, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस केवी विश्वनाथन शामिल हैं।

क्या है AMU का मामला?
साल 2004 में तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने एक पत्र जारी कर कहा था कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी अल्पसंख्यक संस्थान है, इसलिए वह अपनी दाखिला नीति में बदलाव कर सकता है।

इसके बाद यूनिवर्सिटी ने मेडिकल के पीजी कोर्सेज एमडी-एमएस के दाखिले में अपनी नीति में बदलाव करते हुए मुस्लिमों को 50 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान किया था।

AMU के इस फैसले के खिलाफ डॉक्टर नरेश अग्रवाल और अन्य ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका डाली। हाई कोर्ट ने विश्वविद्यालय का फैसला पलट दिया। उस फैसले के खिलाफ AMU ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि जब तक कोई फैसला नहीं मिलता तब तक यथा स्थिति बनी रहेगी।

Advertisement

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button