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धामी कैबिनेट से UCC ड्राफ्ट को दी मंजूरी, लिव-इन की देनी होगी जानकारी..

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में मुख्यमंत्री आवास पर हो रही कैबिनेट बैठक में उत्तराखंड कैबिनेट ने यूसीसी रिपोर्ट को मंजूरी दी। अब आगामी छह फरवरी को आयोजित विधानसभा सत्र में यूसीसी का विधेयक पेश किया जाएगा। उत्तराखंड में धामी सरकार ने आज शाम 6 बजे कैबिनेट की बैठक बुलाई थी।

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इसमें यूसीसी ड्राफ्ट पेश किया गया। इस दौरान सीएम पुष्कर सिंह धामी समेत कैबिनेट मंत्रियों ने बिल पर चर्चा की। सीएम धामी ने शनिवार को भी यूसीसी के ड्राफ्ट पर चर्चा करने के लिए कैबिनेट की बैठक बुलाई थी। इस बैठक में पांच फरवरी से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र को लेकर भी चर्चा की गई।

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समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की बड़ी बातें
बता दें कि उत्तराखंड के लिए समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का मसौदा तैयार करने वाली समिति की प्रमुख सिफारिशों में बहुविवाह और बाल विवाह पर पूर्ण प्रतिबंध, सभी धर्मों की लड़कियों के लिए विवाह योग्य समान आयु और तलाक के लिए समान आधार व प्रक्रियाएं शामिल होने की बात कही जा रही है।

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आयोग ने यह सिफारिश भी की है कि लड़कों और लड़कियों को समान विरासत का अधिकार होगा, विवाह का पंजीकरण अनिवार्य किया जाएगा और लड़कियों के लिए विवाह योग्य आयु बढ़ाई जाएगी, ताकि वे शादी से पहले स्नातक तक की पढ़ाई कर सकें। सूत्रों ने कहा कि जिन जोड़ों की शादियां पंजीकृत नहीं हैं, उन्हें कोई सरकारी सुविधा नहीं मिलेगी और ग्रामीण स्तर पर विवाह पंजीकरण की व्यवस्था की जाएगी। हालांकि, मसौदा आधिकारिक तौर पर सार्वजनिक नहीं किया गया है।

समान नागरिक संहिता राज्य में सभी नागरिकों के लिए एक समान विवाह, तलाक, भूमि, संपत्ति और विरासत कानूनों के लिए एक कानूनी ढांचा प्रदान करेगी, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो। यूसीसी लागू होने पर उत्तराखंड आजादी के बाद इसे अपनाने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा। गोवा में पुर्तगाली शासन के समय से ही यूसीसी लागू है।


सूत्रों ने कहा कि सिफारिशों में यह भी कहा गया है कि सभी को गोद लेने का अधिकार मिलेगा। यहां तक कि मुस्लिम महिलाओं को भी गोद लेने का अधिकार होगा और इसकी प्रक्रिया को सरल बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि हलाला और ‘इद्दत’ की प्रथाओं पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। इसके अलावा, ‘लिव-इन रिलेशनशिप’ के बारे में जानकारी देना अनिवार्य होगा। उन्होंने कहा कि यह एक स्व-घोषणा होगी, जिसके लिए एक कानूनी प्रारूप होगा।

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