उत्तरप्रदेश

अयोध्या में गृह प्रवेश की यात्रा शुरू, रामलला के श्यामल श्रीविग्रह आचार्यों को समर्पित..

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(शशि कोंन्हेर) : राम मंदिर में रामलला के पधारने की शुभ घड़ी आ गई है। इसी क्रम में मंगलवार को नवीन मंदिर के गर्भगृह में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का अनुष्ठान भी शुरू हो गया। अनुष्ठान के पहले दिन शिल्पकार पद्मश्री अरुण योगीराज ने प्रतिष्ठाचार्य पं लक्ष्मीकांत दीक्षित को भगवान का श्री विग्रह सौंपते हुए उनसे त्रुटि की क्षमा याचना के साथ विग्रह के परीक्षण का निवेदन किया।

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यजमान के पूर्व संस्कारों का किया गया निवारण: प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान के शुभारंभ से पहले अपराह्न 1.40 बजे विवेक कर्म कुटीर में प्रमुख यजमान डा. अनिल मिश्र की ओर से प्रायश्चित पूजन किया गया। इस पूजन के उपरांत उनका नवीन संस्कार क्षौर कर्म (मुंडन संस्कार) किया गया।

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इसके बाद सरयू नदी में दशाविधि स्नान कराया गया। ज्योतिषाचार्य पं गणेश्वर शास्त्री द्रविड के निर्देशन व वैदिक आचार्य अरुण दीक्षित के नेतृत्व में अन्य आचार्यों ने वेद मंत्रों के जरिए यजमान डा. मिश्र को पंचगव्य व अलग-अलग दस औषधियों के लेपन के साथ नदी की धारा में डुबकी लगवा कर उनका शुद्धिकरण किया गया। पुनश्च दोबारा कर्म कुटीर (भगवान के विग्रह के निर्माण स्थल ) पर लाकर विधिपूर्वक पूजन शुरू हुआ। इस दौरान यजमान ने सपत्नीक पंचगव्य पूजन, भगवान विष्णु का पूजन किया और फिर गोदान कराया गया।

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इसके बाद कर्म कुटीर हवन का शुभारम्भ हुआ जो कि देर शाम तक चलता रहा। इसके अनंतर शिल्पकार से रामलला के श्रीविग्रह को प्राप्त कर उनका भी पूजन किया गया। इस मौके पर श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र महासचिव चंपतराय अन्य मौजूद रहे।

परिसर स्थित यज्ञ मंडप में श्रीमद वाल्मीकि रामायण व भुसुंडि रामायण पाठ शुरू


रामलला के प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त निकालने वाले काशी के मूर्धन्य ज्योतिषाचार्य पंडित गणेश्वर शास्त्री द्रविड ने बताया कि पहले दिन प्रायश्चित पूजन व कर्म कुटीर हवन के अलावा श्रीरामजन्म भूमि परिसर में स्थित यज्ञ मंडप में भी श्रीमद वाल्मीकि रामायण एवं भुसुंडि रामायण का पारायण भी शुरू कराया गया है।

उन्होंने बताया कि यह पारायण चार वैदिक आचार्य कर रहे हैं जो कि अनुष्ठान के पूर्णाहुति की तिथि 22 जनवरी तक चलेगा। उन्होंने बताया कि बुधवार 17 जनवरी को रामलला के श्रीविग्रह का परिभ्रमण कराया जाएगा। यह परिभ्रमण किस तरह और किस मार्ग से होगा, इसका निर्णय तीर्थ क्षेत्र तय करेगा।

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