अंतरराष्ट्रीय

भारत से मत उलझो, खाने के लाले पड़ जाएंगे,मुइज्जू को कोस रहे मालदीव के लोग..

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(शशि कोंन्हेर) : भारत और मालदीव के रिश्ते इस समय बेहद खराब चल रहे हैं। इसके पीछे की मुख्य वजह कोई और नहीं बल्कि खुद राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू हैं। उन्होंने अपने चुनावी अभियान के दौरान खुलकर भारत विरोधी नारा दिया था। अब जब मुइज्जू सत्ता में आ गए हैं तो उनके मंत्री और पार्टी नेता बेकाबू हो गए। दशकों से सच्चा साथी रहा भारत अब मालदीव के सत्ताधारियों के निशाने पर है। दरअसल प्रधानमंत्री मोदी ने लक्षद्वीप के एक समुद्र तट पर बनाया गया अपना एक वीडियो पोस्ट किया था। इसके बाद मालदीव के मंत्रियों और कुछ अन्य ने उनके लिए अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया जिसके बाद सोशल मीडिया पर विवाद खड़ा हो गया। इस पूरे विवाद में सबसे ज्यादा घाटा मालदीव को ही होने वाला है।

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इसमें कोई दोराय नहीं है कि मालदीव पर्यटन के मामले में एक विकसित देश है। लेकिन यह खूबसूरत पर्यटन स्थल अब भारतीय पर्यटकों के बहिष्कार के खतरे का सामना कर रहा है, जिससे इसकी अर्थव्यवस्था का मुख्य स्रोत खतरे में पड़ गया है। पिछले साल, भारतीय पर्यटक राष्ट्रीयता के आधार पर मालदीव की यात्रा करने वाले सबसे बड़े समूह थे। यानी किसी भी देश से मालदीव आने वाले पर्यटकों में भारतीय सबसे ज्यादा और पहले नंबर पर थे। भारतीयों ने मालदीव की पर्यटन-संचालित अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

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संबंधों में और तनाव आ सकता है

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मालदीव, भारत की 140 करोड़ की तुलना में 520,000 की आबादी वाला एक छोटा सा द्वीप राष्ट्र है। यह भोजन, बुनियादी ढांचे और तकनीकी प्रगति जैसी आवश्यक चीजों के लिए अपने विशाल पड़ोसी देश भारत पर बहुत अधिक निर्भर करता है। मालदीव के निवासियों ने आशंका व्यक्त की है कि राजनयिक विवाद से दोनों देशों के बीच संबंधों में और तनाव आ सकता है।

विवाद से स्थानीय लोगों में निराशा स्पष्ट झलकती है। वे न केवल भारत द्वारा संभावित बहिष्कार को लेकर सहमे हैं बल्कि अपनी सरकार पर भी निशाना साधा रहे हैं। मालदीवियन नेशनल यूनिवर्सिटी की एक छात्रा मरियम ईम शफीग ने बीबीसी को बताया, “हम (भारत से) बहिष्कार के आह्वान से निराश हैं। लेकिन हम अपनी सरकार से ज्यादा निराश हैं। हमारे अधिकारियों की ओर से अच्छे फैसलों की कमी देखी गई।”

भोजन, शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए भारत पर निर्भर

अपनी “भारत फर्स्ट” नीति के लिए मशहूर मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी से जुड़े शफीग बताते हैं कि उनका देश “भोजन, शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल के लिए भी भारत पर निर्भर है।” राजनयिक दरार मालदीव के लिए आर्थिक जोखिम पैदा कर सकती है। इसके अलावा, इसका सांस्कृतिक, आर्थिक और भू-राजनीतिक संबंधों पर भी गहरा असर पड़ने की आशंका है। भारत एक रणनीतिक सहयोगी है, जिसके द्वीपों पर सैन्यकर्मी और हेलीकॉप्टर तैनात हैं। हालांकि, चीन समर्थक माने जाने वाले मुइज्जू के नवंबर में चुने जाने के बाद से रिश्ते खराब हो गए हैं।

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