बिलासपुर

पुलिस और चाइल्ड लाइन के प्रयास से, 5 माह पहले लापता हुआ आदिवासी दिव्यांग, रामेश्वरम से घर वापस लाया गया….

(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर से 14 साल का मूक-बधिर आदिवासी दिव्यांग उदय पोर्ते करीब 5 माह पहले लापता हो गया था। परिजनों ने काफी तलाश, लेकिन कुछ पता नहीं चला। चाइल्ड लाइन ने पुलिस की मदद से उसे तलाश किया तो उसके तमिलनाडु के रामेश्वरम में होने की जानकारी मिली। इसके बाद वीडियो कॉलिंग के जरिए बच्चे की पहचान कराई गई और 10 मई को वह अपने घर पहुंचा। घर पहुंचते ही उदय ने बताया कि उसे 4 लोग पकड़ कर ले गए थे, मारा-पीटा भी। इसके बावजूद न तो पुलिस ने आगे कार्रवाई की और न ही बच्चे की काउंसलिंग कराई गई। हालांकि बच्चे के सकुशल पहुंचने से उसके माता-पिता के चेहरे पर जरूर खुशियां लौट आई हैं।

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दरअसल, सरकंडा थाना क्षेत्र के चांटीडीह के रामायण चौक के पास रहने वाले मनोहर सिंह पोर्ते का बेटा उदय 15 दिसंबर की शाम घर के पास ही खेलते हुए अचानक गायब हो गया। देर शाम तक जब वह घर नहीं लौटा तो परिजनों ने उसकी तलाश शुरू की। दूसरे दिन तक भी जब उदय का पता नहीं चला तो परिजनों ने पुलिस में इसकी शिकायत दर्ज कराई। पुलिस के साथ ही चाइल्ड लाइन की मदद से उदय की तस्वीर को सोशल मीडिया पर वायरल कर जानकारी देने को कहा गया। फिर भी उसका कुछ पता नहीं चला।

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इकलौते और मूक-बधिर दिव्यांग बेटे के गायब होने से माता-पिता दोनों ही बहुत परेशान थे। परिवार बस स्टैंड से लेकर रेलवे स्टेशन और परिचितों तक में उसे तलाश कर रहा था। मनोहर सिंह को उम्मीद थी कि उनका बेटा एक दिन जरूर लौटेगा। इसके बाद दिव्यांग बेटे की चिंता ने उन्हें बीमार कर दिया। इसका इतना ज्यादा असर हुआ कि उन्हें जनवरी में लकवा मार गया। इसके चलते वह कई महीनों तक बिस्तर में पड़े रहे। इस दौरान उपचार के बाद वह ठीक तो हुए, लेकिन अब भी ठीक से चल नहीं सकते।

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दूसरी ओर चाइल्ड लाइन बिलासपुर के समन्वयक पुरुषोत्तम पांडेय ने भी दूसरे राज्यों में उदय की तसवीर भेजकर उसके गायब होने की जानकारी दी थी। 10-15 दिन पहले उन्हें मेल के माध्यम से पता चला कि रामेश्वरम के रेलवे चाइल्ड लाइन को एक मूक-बधिर बच्चा मिला है। इस पर उन्होंने वहां से उसकी फोटो मंगवाई। परिजनों को दिखाया तो उन्होंने उदय की पहचान कर ली। इसके बाद पुरुषोत्तम पांडेय ने वीडियो कॉलिंग कर उदय को उसके परिजन से मिलवाया। उदय अपने माता-पिता को देखकर बिलख-बिलख कर रोने लगा।

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मोहल्ले के बच्चों के लिए प्यारा और लाडला है उदय
घर पहुंचा दिव्यांग उदय, तब मोहल्ले में छा गई खुशियां
इसके बाद केंद्र समन्वयक पुरषोत्तम पांडेय,संदीप राव प्रवीण मरकाम जनक यादव ने मिलकर बाल संरक्षण अधिकारी पार्वती वर्मा से मिलकर बच्चे को वापस लाने के लिए दस्तावेज तैयार किया और पूरी जानकारी मेल से भेजकर बालक को उसके घर पहुंचाने की प्रक्रिया शुरू की। आखिरकार, 10 मई को रेलवे चाइल्ड लाइन रामेश्वरम की टीम मूक-बधिर बालक उदय को लेकर बिलासपुर पहुंची। यहां बालक कल्याण समिति के समक्ष उसे पेश कर परिजनों को सौंपा गया।

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उदय पोर्तें न तो बोल पाता है और न ही सुन सकता है। वह इशारों में बात करता है। सुरक्षित घर लौटने के बाद उसने अपने परिजन को बताया कि वह ट्रेन में बैठकर गया था। परिजनों के अनुसार चार लोग उसे अगवा कर ले गए थथे। इस दौरान उसके साथ मारपीट कर प्रताड़ित भी किया जा रहा था। उदय के सिर में गहरे जख्म के निशान थे। उसके माता-पिता और मोहल्ले वालों को उसने इशारों में बताया कि उसे इंजेक्शन लगाकर बेहोश कर दिया गया था।

ऐसे में सवाल उठ रहा है कि उदय को कौन लोग ले गए थे और वह रामेश्वरम में किस हालत में चाइल्ड लाइन को मिला। इस दिशा में पुलिस ने भी अब तक कोई जांच नहीं की है। न ही बाल कल्याण समिति ने उसकी काउंसिलिंग कराई है। बहरहाल, परिजनों के लिए खुशी इस बात की है कि उनका इकलौता बेटा अब घर लौट आया है

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