छत्तीसगढ़बिलासपुर

बेबस विस्थापितों का दर्द डीपुपारा के एक कोने में जी रहे जी रहे नारकीय जीवन…….

(दिलीप जगवानी) : बिलासपुर – डीपूपारा से विस्थापित परिवार मौत के मुहाने में खड़े हैं। 12 सालों में पक्की सड़क मिली न नाली की सहूलियत। गंदगी के साथ रहते हुए इनका जीवन नारकीय हो गया है। यहां रहने वाले गरीब परिवारों को केवल इलेक्शन के समय इंसानो मे गिना जाता है।

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दो वक्ता का खाना मिलने भर से कोई परिवार सुखी नहीं हो जाता।आस-पास सफाई और बुनियादी) सुविधाएं उसे खुश रखती है। लेकिन तारबाहर मस्जिद के पीछे 12 साल पहले विस्थापित वो बदनसीब गरीब परिवार है जिनकी जिंदगी मे सुख सहूलियत और चैन कभी नहीं आया।

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मालिन बस्ती के सामने इस तालाब मे समायी आसपास के इलाके की गंदगी से उठती सड़ांध जीना मुश्किल कर दिया हैं। जंग लगे लीकेज पाईप का बस्ती के लोग सालों से पानी पी रहे हैं। अब ये मौत के मुहाने में खड़े हो गए हैं। बतातें हुए लोगों को दुख लगता हैं की उनकी गिनती इंसानों मे नहीं हैं।

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कच्चे मकान सीलन वाला इलाक़ा जहां सुविधा नाम की कोई चीज़ नहीं हैं। य़ह वही तारबाहर मे गरीबों की बस्ती है।

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पिछले साल जहां इसी मौसम मे डायरिया से दो लोगों की मौत हुई और दर्जनों अस्पताल में भर्ती किए गए थे। इनका नारकीय जीवन दोनों राजनीतिक दालों के लिए हमेशा से ही मुद्दा रहा है।

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यहां रहने वाले गरीब परिवारों को केवल इलेक्शन के समय इंसानो मे गिना जाता है। बाकी समय रोटी का जुगाड़ करने मे खत्म हो जाता हैं फिल्हाल तालाब की सफाई को लेकर विरोधी दल के संध्या चौधरी नीलम गुप्ता सरिता कामड़े दिलीप नारायण और शेखर बिनकर प्रयासरत हैं।

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