रायगढ़

एसपी और टीआई की मेहनत रंग लाई, डबल मर्डर कांड में पूर्व विधायक को कोर्ट ने सुनाई सजा…..

रायगढ़ – पड़ोसी राज्य ओड़ीशा ब्रजराजनगर के पूर्व विधायक अनूप कुमार साय को रायगढ़ कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई है जबकि अनूप कुमार साय के ड्राइवर वर्धन टोप्पो को बाइज्जत बरी किया गया है। विधायक पर हत्या और हत्या का साक्ष्य छुपाना जैसे गंभीर दंडनीय अपराध दर्ज हैं। अपराध की गंभीरता को देखते हुए अनूप कुमार साय को आजीवन कारावास सहित अर्थदंड भी लगाया गया है। बता दें किओड़िशा के पूर्व विधायक अनूप साय ने अपनी प्रेमिका और उसकी बच्ची की हत्या रायगढ़ के हमीरपुर रोड के पास कर दी थी। करीब 6 साल के बाद इस मामले में आज सजा सुनाई गई है। शहर के नजदीक संबलपुरी गांव में 6 मई 2016 को दो महिलाओं की हत्या कर उन्हें फेंके जाने तथा अमानवीय हरकत कर उन्हें गाड़ी के नीचे रौंद कर हत्या को एक्सीडेंट दिखाने के आरोप में ओड़िशा ब्रजराजनगर पूर्व विधायक और बीजू जनता दल (बीजेडी) के नेता अनूप कुमार साय को रायगढ़ पुलिस ने गिरफ्तार किया था। सन 2020 में इस मामले में तत्कालीन चक्रधर नगर टीआई विवेक पाटले ने तफ़्तीश कर पर्दाफाश किया था। मृत महिलाओं की पहचान कल्पना दास (32) और उसकी बेटी प्रवती दास (14) के रूप में हुई। पुलिस ने इस मामले में पड़ोसी राज्य ओडिसा के ब्रजराजनगर के पूर्व विधायक और बीजू जनता दल (बीजेडी) के नेता अनूप कुमार साय को गिरफ्तार किया था।

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आज इस बड़े मर्डर हत्याकांड में माननीय रायगढ़ जिला न्यायालय ने ब्रजराजनगर के पूर्व विधायक अनूप कुमार साय को दोषी पाते हुए हत्या व अपराधिक षड्यंत्र IPC 302 व IPC 120,B के तहत उम्र कैद एवं 5-5 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। इसके साथ ही 201 (साक्ष्य छुपाने) का अपराध सिद्ध होने पर उसके लिए भी 5 वर्ष कारावास और 5000 रुपये अर्थदंड सजा सुनाई है। इसके अलावा इस मामले में पूर्व विधायक के ड्राइवर बर्मन टोप्पो ( पिता सुलेमान टोप्पो, ब्रजराजनगर) को भी इन्हीं धाराओं के तहत आरोपी बनाया गया था। जिसे साक्ष्य के अभाव में कोर्ट ने बाइज्जत बरी कर दिया है। ड्राइवर की तरफ से रायगढ़ जिला न्यायालय में उनकी पैरवी रायगढ़ के युवा अधिवक्ता आशीष मिश्रा कर रहे थे।

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जानिए पूरा मामला
दिनांक 7 मई 2016 की सुबह करीब 6 बजे चक्रधर नगर-हमीरपुर रोड मार्ग पर मां शाकंबरी प्लांट जाने के कच्चे रास्ते पर एक अज्ञात महिला और लड़की का शव बरामद हुआ था। घटना की सूचना सरपंच कमलेश गुप्ता ने चक्रधर नगर थाने को दी थी। मौके पर पहुंची थाना चक्रधर नगर पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी। गांव और फैक्ट्री कर्मियों से पूछताछ में शिनाख्त नहीं हुई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पता चला कि पहले हत्या की गई फिर शवों को गाड़ी से कुचला गया।जांच के दौरान सुनील श्रीवास्तव ने यह जानकारी दी कि रात करीब 10 बजे झाड़सुगुड़ा के बेहरामाल चौक पर एक बोलेरो में अनूप साय बैठा था। जबकि गाड़ी की पिछली सीट पर अनूप की तथाकथित प्रेमिका कल्पना दास (32) और उसकी बेटी प्रवृत्ति दास (14) थी। वहीं गाड़ी ड्राइवर वर्धन टोप्पो चला रहा था। तत्कालीन आईजी पवनदेव ने जांच में लगे अफसरों से कॉल गर्ल विवाद में हत्या का अंदेशा जताया। तब जांच टीम ने संदिग्धों से पूछताछ की। मामला पड़ोसी राज्य उड़ीसा से जुड़ा हुआ था इसलिए उड़ीसा में भी पूछताछ की गई। यहाँ पर मृत महिलाओं की पहचान कल्पना दास (32) और उसकी बेटी प्रवती दास (14) के रूप में हुई।अनूप चार बार के विधायक रह चुके थे। इसके साथ ही बीजू जनता दल के पावरफुल नेताओं में उनकी गिनती होती थी। उस समय उड़ीसा में बीजू जनता दल और बीजेपी की सरकार थी और छत्तीसगढ़ में भी भाजपा की सरकार थी। बढ़ते राजनीतिक दबाव के कारण पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी। पूर्व विधायक अनूप साय और कल्पना के बीच प्रेम संबंध था कल्पना दास अनूप साय पर शादी करने का दबाव बना रही थी। इतना ही नहीं मकान भी अपने नाम कराने के लिए पैसे की डिमांड कर अनूप को ब्लैकमेल कर रही थी। अनूप साय पहले से शादी-शूदा था। उसके बच्चे भी थे। कल्पना की पैसे की डिमांड और ब्लैकमेलिंग से तंग आकर अनूप साय ने कल्पना और उसकी बेटी प्रवत्ती की हत्या करने की योजना अपने ड्राइवर के साथ बनाई। पूर्व सुनियोजित तरीके से कल्पना और उसकी बेटी को बोलेरो में बिठाकर छत्तीसगढ़ के रायगढ़ की ओर लाया। कल्पना और प्रवृत्ती को झांसा देकर अनूप ने हमीरपुर मार्ग पर मां शाकंबरी प्लांट जाने के रास्ते पर उतरवा दिया। फिर दोनों पर लोहे के रॉड से प्राणघातक हमला कर हत्या कर दी। हत्या को एक्सीडेंट दिखाने के लिए अनूप ने अपने ड्राइवर वर्धन टोप्पो से दोनों के शव के ऊपर से गाड़ी चढ़वा दी। लाश को वहीं छोड़कर अनूप अपने ड्राइवर के साथ फरार हो गया था।

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तत्कालीन एसपी संतोष सिंह के मार्गदर्शन में टीआई विवेक पाटले ने केस किया था सॉल्व : समय के साथ मामला ठंडे बस्ते में चला गया। मामले को 4 साल बाद 2020 में रायगढ़ के तत्कालीन एसपी संतोष कुमार सिंह ने चक्रधर नगर थाना प्रभारी विवेक पाटले को मामले को अंजाम तक पहुंचाने का दायित्व सौंपा। विवेक पाटले ने इस मामले को दोबारा फिर से खंगालना शुरू किया। पुलिस को पिछले कुछ सालों में जो सबूत मिले थे, सारी कड़ियों को एक बार फिर से नए सिरे से जोड़ा गया। क्योंकि आरोपी पावरफुल था इसलिए उसके खिलाफ सबूत भी पूरे पक्के होने चाहिए थे। 6 महीने की जी तोड़ कोशिश के बाद आखिरकार पुलिस के पास आरोपी विधायक के खिलाफ पर्याप्त सबूत थे। अब जो सबसे बड़ी अड़चन थी वो यह कि, आरोपी को छत्तीसगढ़ लाना। तत्कालीन एसपी संतोष कुमार सिंह टीआई विवेक पाटले को आरोपी को ओड़िशा से छत्तीसगढ़ लाने का जिम्मा सौंपा। आरोपी को इस बात की भनक लग गई थी उसने जीततोड़ प्रयास किया। उड़ीसा में कुछ दिन रुकने के बाद आखिरकार विवेक पाटले एंड टीम ने आरोपी को धर दबोचा और पूछताछ के लिए रायगढ़ लाने में कामयाब रहे। 18 घंटे की लंबी पूछताछ के बाद आरोपी ने अपना मुंह खोल वारदात कैसे की उसके बारे में बताया। इस अनसुलझे केस की गुथ्थी सुलझाने के लिए टीआई विवेक पाटले को पुलिस द्वारा कॉप ऑफ मंथ से नवाजा गया था।

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50 से अधिक लोगों ने दी थी गवाही
अपराध की गंभीरता को देखते हुए न्यायालय ने आरोपी अनूप साय को आजीवन कारावास के साथ अर्थदंड भी दिया है। इस पूरे घटनाक्रम में करीब 60 गवाहों के नाम थे। उनमें से 50 ने गवाही दी। अधिकतर गवाह अनूप साय को बचाने में लगे रहे। माननीय न्यायालय के पंचम अपर सत्र न्यायाधीश कमलेश जगदल्ला ने इस मामले में सजा सुनाई है। जबकि लोक अभियोजक दीपक शर्मा की कड़ी मेहनत से आरोपी पूर्व विधायक अनूप साय को आजीवन कारावास और अर्थदंड की सजा हो पाई है।

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