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नए संसद भवन के उद्घाटन पर चीन का आया रिएक्शन, जमकर की तारीफ……

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(शशि कोन्हेर) : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों नई संसद का उद्घाटन किया। इस दौरान, कांग्रेस, टीएमसी समेत 19 से ज्यादा विपक्षी दलों ने समारोह का बहिष्कार किया और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से उद्घाटन नहीं करवाने को लेकर प्रधानमंत्री मोदी और केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा।

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नए संसद भवन के उद्घाटन पर चीन की प्रतिक्रिया सामने आई है। चीन सरकार के  ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने सरकार के इस कदम की प्रशंसा की है। तकरीबन हर बार भारत की बुराई करने वाला चीन नए संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम की तारीफ कर रहा है।

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चीन की सरकारी मीडिया ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने संपादकीय में कहा है कि हम नैतिक और भावनात्मक रूप से भारत के विऔपनिवेशीकरण का समर्थन करते हैं। लेख में कहा गया है, ”भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को देश के नए संसद भवन का उद्घाटन किया। ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान लगभग एक सदी पहले बनी पुरानी संसद को संग्रहालय में बदला जाएगा।

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नई इमारत को मोदी सरकार की सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना की मुख्य परियोजना माना जाता है। उस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य भारतीय राजधानी को औपनिवेशिक युग के निशान से मुक्त करना है। अपने भाषण में, पीएम मोदी ने कहा कि नई संसद सिर्फ एक इमारत नहीं है। यह एक आत्मनिर्भर भारत के सूर्योदय का गवाह बनेगी।”

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मोदी सरकार ने राजपथ का नाम बदल कर दिया कर्तव्य पथ
संपादकीय में आगे कहा गया है कि इस संसद की इमारत की कीमत लगभग 120 मिलियन डॉलर है और इसमें मोर, कमल का फूल और बरगद के पेड़ जैसे राष्ट्रीय प्रतीक शामिल हैं, जो भारत के पारंपरिक इतिहास और संस्कृति को को दिखाते हैं। यह भारत सरकार के विऔपनिवेशीकरण उपायों की सीरीज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

भारत लगभग 200 वर्षों तक ब्रिटेन का उपनिवेश रहा था, और भारत में औपनिवेशिक प्रभाव के निशान व्यापक और गहन दोनों हैं। 1968 में भारत सरकार ने नई दिल्ली में एक प्रमुख स्थल इंडिया गेट के सामने स्थित किंग जॉर्ज पंचम की मूर्ति को हटा दिया था। फिर, 8 सितंबर, 2022 को मोदी सरकार ने महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की मृत्यु के दिन इंडिया गेट के सामने राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ कर दिया।

‘इमारतों के नाम बदले गए, बजट प्रथाओं को भी बदला’
केंद्र सरकार द्वारा पिछले कुछ सालों में लिए गए फैसलों के बारे में ग्लोबल टाइम्स ने प्रशंसा की है। उसने कहा है कि  हाल के वर्षों में, मोदी सरकार ने भारत की छवि उभरते हुए देश के रूप में पेश की है, जोकि स्वतंत्र आत्मविश्वास पर जोर देता है। भारत ने उपनिवेशवाद के प्रतीकों को हटाने के लिए बड़े पैमाने पर ऐक्शन लिया है, जिसमें प्रतिष्ठित इमारतों का नाम बदलना और फिर से तैयार करना, औपनिवेशिक इतिहास से जुड़ी बजट प्रथाओं को बदलना, अंग्रेजी के आधिकारिक उपयोग को कम करना और हिंदी भाषा के उपयोग को बढ़ाना शामिल है।

आखिर में यह भी लिखा गया है कि  चीनी समाज में कम ही लोग मानते हैं कि भारत का आर्थिक और सामाजिक विकास चीन के लिए खतरा बनेगा। अधिकांश लोग इस बात से सहमत हैं कि दोनों देश पारस्परिक सफलता प्राप्त कर सकते हैं। स्पष्टता और आत्मविश्वास प्रमुख तौर पर संकेत दे रहा है कि भारत वास्तव में उपनिवेशवाद की छाया से उभरा है।

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