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जर्मनी के बाद अब केजरीवाल पर क्या बोल गया अमेरिका…. भारत ने दूत को 40 मिनट तक सुनाया

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर अमेरिका की टिप्पणी को लेकर भारत ने कड़ा विरोध जताया है। केजरीवाल पर टिप्पणी के बाद भारत ने बुधवार को दिल्ली में अमेरिकी दूतावास की कार्यवाहक उप-प्रमुख ग्लोरिया बर्बेना को तलब किया। ग्लोरिया के साथ विदेश मंत्रालय के अधिकारियों की बैठक करीब 40 मिनट तक चली। इस दौरान भारत ने साफ लहजे में कहा कि यह उसका आंतरिक मामला है और इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए।

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विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, “हम भारत में कुछ कानूनी कार्यवाहियों के बारे में अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता की टिप्पणियों पर कड़ी आपत्ति जताते हैं। कूटनीति में, देशों से दूसरों की संप्रभुता और आंतरिक मामलों का सम्मान करने की अपेक्षा की जाती है। साथी लोकतंत्रों के मामले में यह जिम्मेदारी और भी अधिक हो जाती है। अन्यथा यह गलत मिसाल कायम कर सकता है। भारत की कानूनी प्रक्रियाएं एक स्वतंत्र न्यायपालिका पर आधारित हैं। उस पर आक्षेप लगाना अनुचित है।”

एक दिन पहले अमेरिकी विदेश विभाग ने एक बयान में कहा था कि वे दिल्ली के मुख्यमंत्री और प्रमुख विपक्षी नेता अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद उससे जुड़ी रिपोर्ट्स की लगातार निगरानी कर रहे हैं। अमेरिका ने यह भी कहा कि वह केजरीवाल के मामले में निष्पक्ष, पारदर्शी और समय पर कानूनी प्रक्रिया की उम्मीद कर रहे हैं।

केजरीवाल की गिरफ्तारी पर यह दूसरी अंतरराष्ट्रीय टिप्पणी है। पिछले सप्ताह जर्मनी ने भी इसी तरह का बयान दिया था। जर्मनी के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने केजरीवाल की गिरफ्तारी का संज्ञान लिया था। जर्मन अधिकारी ने कहा था, ‘‘हमारा मानना है और उम्मीद करते हैं कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता से जुड़े मानक और मूलभूत लोकतांत्रिक सिद्धांत भी इस मामले में लागू होंगे।’’

इसके बाद भारत ने शनिवार को यहां जर्मन दूतावास के उप प्रमुख को तलब किया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर जर्मनी के विदेश मंत्रालय की टिप्पणी के खिलाफ कड़ा विरोध दर्ज कराया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि जर्मन दूत जॉर्ज एनजवीलर को विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने तलब किया और बताया कि केजरीवाल की गिरफ्तारी पर जर्मन विदेश मंत्रालय की टिप्पणी भारत की न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप है। मंत्रालय ने कहा कि कोई भी ‘पूर्वाग्रह वाली पूर्वधारणा’ बिल्कुल अवांछित है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘‘नई दिल्ली में जर्मनी के दूतावास के उप प्रमुख को आज तलब किया गया और हमारे आंतरिक मामलों पर उनके विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता की टिप्पणी पर भारत के कड़े विरोध से अवगत कराया गया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम इस तरह की टिप्पणियों को हमारी न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप और हमारी न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कमतर करने के रूप में देखते हैं।’’ जायसवाल ने कहा, ‘‘भारत एक जीवंत और कानून का शासन वाला मजबूत लोकतंत्र है। जैसा कि देश में और लोकतांत्रिक दुनिया में अन्य जगहों पर सभी कानूनी मामलों में होता है, कानून इस मामले में अपना काम करेगा। इस बारे में पूर्वाग्रह वाली पूर्वधारणाएं बिल्कुल अवांछित हैं।’’

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