आचार संहिता के लागू होते ही इन सभी चीजों पर रहेगी पाबंदी….पढ़िए पूरी खबर
लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान आज यानी शनिवार को किया जाएगा. इसको साथ ही राज्यों में विधानसभा चुनाव की तारीखों की भी घोषणा होगी. जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं उसमें ओडिशा, सिक्किम, अरूणाचल प्रदेश और आंध्र प्रदेश शामिल है. तारीखों की घोषणा के बाद ही देश भर में मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट यानी आचार संहिता लागू हो जाती है. ऐसे में आइए जानते हैं यह आचार संहिता क्या होती है, इसे कौन लागू करता है, लागू हो जाने के बाद किन कामों को करने पर पाबंदी होती है और क्या क्या करने की इजाजत होती है.
चुनाव आयोग ने देश में स्वतंत्रत और निष्पक्ष चुनाव करने के लिए कुछ नियम बनाए है. इन्हीं नियमों को आचार संहिता कहते है. लोकसभा या विधानसभा चुनाव के दौरान इन नियमों का पालन करना राजनीतिक दलों के लिए जरूरी होता है. आचार संहिता के तहत बताया जाता है कि राजनीतिक दलों और कैंडिडेट को चुनाव के दौरान क्या करना है और क्या नहीं करना है. इलेक्शन कमिशन भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत शांतिपूर्ण चुनाव के लिए राजनीतिक दलों को आचार संहिता का पालन करने के लिए बाध्या कर सकता है.
आचार संहिता की शुरूआत सबसे पहले 1960 में केरल विधानसभा चुनाव में हुई थी. इलेक्शन कमिशन ने 1962 को लोकसभा चुनाव में पहली बार इसके बारे में राजनीतिक दलों को इन नियमों के बारे में बताया था. 1967 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों से आचार संहिता की व्यवस्था लागू हो गई थी. राज्यों और केंद्र सरकार के कर्मचारियों को चुनावी प्रक्रिया पूरी होने तक सरकार के नहीं, चुनाव आयोग के कर्मचारी की तरह काम करना होता है. चुनाव पूरा होने के बाद आचार संहिता हटा लिया जाता है.
-सरकारी खर्च पर मंत्री इलेक्शन रैली नहीं कर सकते हैं. इस दौरान मंत्री सरकारी वाहनों का इस्तेमाल भी सिर्फ अपने निवास से ऑफिस तक जाने के लिए कर सकते हैं. चुनावी रैलियों और यात्राओं के लिए इनका इस्तेमाल नहीं हो सकता.
-आचार संहिता लागू होने के बाद सार्वजनिक धन का इस्तेमाल किसी ऐसे आयोजन में नहीं किया जा सकता जिससे किसी राजनीतिक पार्टी को फायदा पहुंचता हो. सभी तरह की सरकारी घोषणाएं, लोकार्पण, शिलान्यास जैसे कई तरह के आयोजन नहीं किए जा सकते हैं. लेकिन अगर पहले ही कोई काम शुरू हो गया है तो वो जारी रह सकता है.
– मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा या किसी भी धार्मिक स्थल का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं हो सकता.
– आचार संहिता में सरकार किसी भी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी का ट्रांसफर या पोस्टिंग नहीं कर सकती. अगर मान लीजिए की ट्रांसफर करना बहुत जरूरी हो तो चुनाव आयोग की पर्मिशन लेना आवशयक होता है.
-सार्वजनिक या निजी स्थान पर सभा आयोजित करने, जुलूस निकालने और लाउडस्पीकर इस्तेमाल करने से पहले स्थानीय पुलिस अधिकारियों से लिखित अनुमति लेना जरूरी है। रात 10.00 बजे से प्रात: 6.00 बजे के बीच लाउडस्पीकर का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.
आचार संहिता का उल्लंघन करने पर क्या होता है
-तो अगर कोई भी राजनीतिक दल या उसका प्रत्याशी आचार संहिता का उल्लंघन करता है तो उसके प्रचार करने पर रोक लगाई जा सकती है. उम्मीदवार को चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है.
– यही नहींजरूरत पड़ने पर प्रत्याशी के खिलाफ आपराधिक मुकदमा भी दर्ज हो सकता है और जेल जाने तक का भी प्रावधान है.
आचार संहिता सिर्फ राजनीतिक दलों या उम्मीदवारों तक ही सीमित नहीं है. आम आदमी पर भी लागू होती है. मतलब अगर कोई अपने किसी नेता के प्रचार में लगा है तो उसे भी इन नियमों का पालन करना होगा. कोई राजनेता अगर आपको उपर दिए गए नियमों को ताक पर रखकर कुछ काम करने के लिए कहता है तो आप आचार संहिता के नियम कायदों के बारे में बताकर मना कर सकते हैं. अगर कोई प्रचार करते पकड़े गए तो कार्रवाई हो सकती है.